
खसरा दिवस के अवसर पर 17 से 22 मार्च तक एम.आर. टीके के लिए लगेंगे विशेष सत्र
खण्डवा-भारत सरकार के निर्देशानुसार वर्ष 2026 तक मीजल्स रुबेला निर्मलन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे हासिल करने के लिए जिले एवं ब्लॉक स्तर में एम.आर. टीके की दोनों खुराकों की शत प्रतिशत उपलब्धि अनिवार्य है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ओ.पी. जुगतावत ने बताया कि इसी क्रम में 16 मार्च खसरा दिवस के अवसर पर 17 से 22 मार्च तक विशेष टीकाकरण सत्र लगाकर जिले में एम.आर. टीके से छूटे हुए बच्चों का टीकाकरण किया जायेगा। डॉ. जुगतावत ने बताया मीजल्स रुबेला का पहला टीका 9 से 12 माह की आयु में तथा दूसरा टीका 16 से 24 माह की आयु में लगाया जाता है।
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. अनिल तंतवार ने बताया कि मीजल्स एक गंभीर बीमारी है। खाँसने छींकने से बीमारी एक बच्चे से दूसरे बच्चे में फैलती है। बच्चे को निमोनिया, दस्त, दिमागी संक्रमण जैसी घातक जटिलताओं के प्रति संवेदनशील बना सकता है। बच्चे में बुखार, शरीर पर लाल दाने, नाक बहना, आँख आना जैसे लक्षण से इसकी पहचान होती है। बीमारी संक्रमित बच्चे की खाँसी के ड्रापलेट के माध्यम से फैलती है एवं इसके लक्षण 7 से 14 दिन में दिखाई देते हैं।
रुबेला से गर्भवती स्त्री के गर्भ में पल रहा बच्चा अंधा, बहरा, मंदबुद्धि, दिल में छेद जैसी विकृति के साथ पैदा हो सकता है तथा बच्चे की गर्भ में मृत्यु भी हो सकती है। अगर महिला को गर्भ के आरंभ में रुबेला संक्रमण होता है तो सीआरएस ( जन्मजात रुबेला सिंड्रोम) विकसित हो सकता है। रुबेला संक्रमण को जर्मन मीजल्स के नाम से भी जाना जाता है। वायरस के संपर्क में आने के 2 से 3 दिन बाद चकत्ते आते हैं और ये 3 दिन तक रह सकते है।